परमात्मा दुनियां ढूंढने से नहीं बल्कि खुद के खोने से मिलते है
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परमात्मा के प्रति त्याग |
परमात्मा के प्रति त्याग
एक समय की बात है, किसी महात्मा जी के पास एक लड़का आया और बोला महात्मा जी, मुझे भी परमात्मा से मिला दो। मैं भी उसे देखना चाहता हूं। महात्मा जी बोले, ”ये तेरे बस की बात नहीं है। तुझे अभी सिर्फ चाव है, प्रेम नही।
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लड़का |
”लड़का बोला” मैं कुछ नहीं जानता महात्मा जी, आप मुझे भी दिखाओ परमात्मा! मैं भी तो देखूं कैसे है वो, और कया करते है, कहां रहते है। महात्मा जी, ”बेटा ये कोई खेल नहीं है, इस मे खुद को गवाना पड़ता है। मन मारना पड़ता है, अच्छा बनना पड़ता है। अछाई के रास्ते पर चलना पड़ता है ओर त्याग देना पड़ता है।
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