एक माँ का संकल्प जिसने बदल दी जिंदगी
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माँ |
माँ और आज्ञाकारी बेटे की Sachi Kahani - माँ और आज्ञाकारी बेटे की Sachi Kahani - स्वागत है आपका हमारे आज के ब्लॉग पर । आज की कहानी हमें माँ व एअक बच्चे के बचपन में ही कैसे सकरत्मक ऊर्जा भरे उसकी कहने है । माँ और आज्ञाकारी बेटे की Sachi Kahani के जरिया आज के बच्चे और माताओं के लिए जीवन में अपने बचो को कैसे शिक्षा दे, ऐसे सिखने जो मिलेगा । एक माँ ही तो एक बच्चे को बचपन में ही सही दिशा दिखाती है इसी विषय पर आधारित है आज की हमारी कहानी माँ और आज्ञाकारी बेटे की Sachi Kahani । हमारा हमेशा से यह प्रयास रहता है के हम आप तक अच्छी कहनियाँ लेकर आये और उसी अंक को जोड़ती है आज माँ और आज्ञाकारी बेटे की Sachi Kahani । तो चलिए शुरू करते है ।
सच्ची कहानी तीन गहने
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ईश्वरचंद्र विद्यासागर का गाँव |
ईश्वरचंद्र विद्यासागर का बचपन बंगाल के एक गांव में बिता। एक बारिश ईश्वरचंद्र के मन में सवाल उठा के गांव में सभी महिलाएं अच्छे-अच्छे गहने पहनती है, लेकिन उनकी माँ कभी कोई गहना क्यों नहीं पहनती। एक दिन उन्होंने मां से बड़े प्यार से पूछा "मां तुम्हें कौन-कौन से गहने अच्छे लगते हैं ?" माँ हंसती हुई बोली, "क्यों पूछ रहे हो बेटा ?" ईश्वर चंद ने कहा ,ज'ब मैं बड़ा होऊंगा न तो तुम्हारे लिए ढेर सारे गहने बनवाऊंगा।
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