जीवन के मूल्यों से अवगत करवाती है ये आज की हमारी Sachi Kahani
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Sachi Kahani |
Sachi Kahani - हेलो दोस्तों, सवागत है आपका , अपने ब्लॉग पर। आज फिर हम आपसे Sachi Kahani के माध्यम से जीवन के उद्देश्य के बारे में बात करेंगे। हमारी Sachi Kahani कहानियों का एक ही उद्देश्य है के आप अपने जीवन के मूल्यों को समझ सके। आज की हमारी कहानी है, द्वापर युग की। जब भीम ने अपने बड़े भाई युधिष्ठिर को जो के धर्मात्मा के नाम से भी प्रसिद्ध थे उनको भी एक सीख दी। Sachi Kahani के माध्यम से हम आपको को जीवन के मूल्यों से अवगत करनवाने चाहते है। हमारा आप सब से अनुरोध है के इस Sachi Kahani को पूरा पड़े और आगे अपने दोस्तों से , परिवार से साँझा करें।
समय की कीमत
( Sachi Kahani )
पांडवों के राज्य में सभी सुखी थी। सभी को न्याय मिले, ऐसा सोचकर युधिष्ठिर ने महल के सामने ही एक बहुत बड़ा नगाड़ा रखवा दिया था। जब भी किसी व्यक्ति को कोई कष्ट होता। तो वह इस नगाड़े को बजा सकता था। उसकी फरियाद तरुंत सुनी जाती। एक दिन पांचों पांडव राज महल के बगीचे में टहल रहे थे।
उसी समय नगाड़ा बज उठा युधिष्ठिर ने दुआर पाल को आज्ञा भिजवाई, के नगाड़ा बजाने वाले को अंदर आने दिया जाये। कुछ ही देर बाद एक बूढ़ा व्यक्ति लंगड़ाता हुआ, अंदर आया। बोलिऐ प्रियवर तुम्हें क्या कष्ट है," युधिष्ठिर ने पूछा"। उस वृद्ध व्यक्ति ने कहा , मुझे अपनी इकलौती बेटी की शादी करनी है। और परसों उसकी बारात आने वाली है। मेरे पास पैसे के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं है महाराज, "वृद्ध व्यक्ति ने कहा।"
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